रविवार, 20 अक्तूबर 2019

लीलाधर

देखकर गणिका के साथ फोटू और
हँसते बतियाते बलात्कारियों के संग
भिनभिना गया था मन|
लगता था तुम पाखंडी हो
ठगते हो भक्तों को
संतों की वाणी बोल|
भूल गया था कि
तुम संतों के, और
पापियों के भी, प्रभु हो|
अजामिल के प्रभु,
अहल्या के तारक,
राधा के कृष्ण|
उलझ गया था मन
विकल थी बुद्धि
हे, मायापति|
तुमने उबार लिया
अंत में मुझे भी
हे, लीलाधर|

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