साठ वर्षों से सुनता आया हूं
नेताओं के मनमोहक वादे
खुशफहम इरादे
उनकी जीत के नगाड़े
उनकी प्रीत के पहाड़े
उनके नेम एन्ड फेम
उनके हथकंडे और स्कैम।
हम बस टापते रह गये
शिशिर में कांपते रह गये
अपने अरमानों की अर्थी पर
फटा कफ़न ढांकते रह गये।
नेताओं के मनमोहक वादे
खुशफहम इरादे
उनकी जीत के नगाड़े
उनकी प्रीत के पहाड़े
उनके नेम एन्ड फेम
उनके हथकंडे और स्कैम।
हम बस टापते रह गये
शिशिर में कांपते रह गये
अपने अरमानों की अर्थी पर
फटा कफ़न ढांकते रह गये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें