मैंने अपनी नन्हीं पोती से सवाल किया
चार गुने दो कितने होते है ?
उसने कहा "जी"
और कॉपी पर लिखा g
मैंने उसका उत्तर सही किया और लिखा 8
वह बोली, दादा जी,
कल आपने ही तो मना किया था
जीरो को जीरो से डिवाइड नहीं करते।
फिर मैंने पूछा
अच्छा, यह तो बताओ
कि चार प्लस दो
और चार माइनस दो
इन दोनों में
कौन बड़ा होता हैं?
वह हँसी, फिर बोली,
तीनों एक ही तो हैं,
एक के ही तीन नाम।
मैं चकराया, और पूछा, सो कैसे?
उसने समझाया, कल आपने ही बताया,
चौबे जब छब्बे बनने जाता है,
आधी रात दूबे बन घर लौट आता हैं,
फिर भी, चौबे अपनी पोती के लिए
जैसे का तैसा, दादा रह जाता है।
नाम बदलने से क्या अंतर पड़ता है ?
घर में मेरा नाम बिटटू है,
स्कूल में वैदेही है,
अब बतलाओ, मैं एक हूँ कि दो ?
मैं हो गया निरुत्तर,
बगलें झाँकते हुए मैंने कहा,
जीती रह पुत्तर।
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