वह तो चरी जाने को होती हैं।
घास बकरे के लिए चारा है
घास गाय-भैंसों का सहारा है
बकरे क्या ख़ुद के लिए जीते हैं?
बछड़े क्या जी-भर दूध पीते हैं?
धरम-धरम के बीच झगड़ा है
सदियों से चलता यह रगड़ा है
गोश्त या दूध उन्हें खाना है?
किस तरह फ़ायदा उठाना है?
रगड़े पर पलते सब नेता हैं,
झगड़े के वही तो प्रणेता हैं,
गोश्त औ दूध खूँ बनाते है
नेता की प्यास खूँ बुझाते हैं।
घास इन लफड़ों में न पड़ती है
खाती है धूप, खूब बढ़ती है।
हवा पीकर खाना बनाती है
रौंदो, पर उफ़ नहीं कह पाती है।
घास हैं हम, हमें कुछ न कहना है,
धरती से चिपट, हरी रहना है।
बकरे और नेता फलें फूलें
रौंदना या खाना हमें मत भूलें।
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