शुक्रवार, 10 मई 2024

कुछ कुंडलियां काका के नाम

 राम नाम पर लूट है, बेशर्मी से लूट

भगत लुटेरे थे रहे, देयर इज नो डिस्प्यूट।

देयर इज नो डिस्प्यूट बन गये तुलसी बाबा

करें तिजोरी की नित सेवा काशी काबा

कह सुधांशु कविराय ओढ़ चादर रमनामी

बन महंत इतराते सकल कुटिल, खल, कामी।।


राम नाम पर लूट है, दोनों हाथों लूट

सेल लगी है बावरे, मनचाही है छूट।

मनचाही है छूट, उठा ले जो मन भावे

राज, काज, प्रासाद, बैंक-बैलेंस बना ले

कलजुग में यह काल नहीं फिर कर आयेगा

चूका तो भूखा नंगा रह मर जायेगा।


राम नाम पर लूट है, लूट सके तो लूट

चादर की महिमा बड़ी, सभी करें सैल्यूट

सभी करें सैल्यूट धनी, गुणवंत, विशारद

सभी कदम चूमें, रक्षक हों जन, गन, गारद

जहां जाय आशीष वहीं धन, पद चलि जावें

लेखक, कवि अखवार सभी चालीसा गावें।

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