आप बुत की तरह थिर खड़े रह गये
मुझको नजरें उठाकर निहारा नहीं।
यूं ही बजती रहीं कांच की चूड़ियां
आप को मेरा मिलना गवारा नहीं।
आपको क्या पता इश्क क्या चीज़ है
ये वो दरिया है जिसका किनारा नहीं।
घुप अंधेरे में ये आसमां का सफर
जो कि रहबर बने वो सितारा नहीं।
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