सब्र के बांध
मत टूटो
नहीं तो मैं डूब जाऊंगा
आंसुओं के सैलाब में।
बारिश नाम नहीं लेती
थमने का
बदनसीबी की घटाओं ने
घेर रखा है मेरा नीला आसमान।
दुनियां भर की नफ़रत
बद्दुआओं की भाप
हर दिल की जलन
हिकारत का धुआं
मामूनियत की तलाश
चट्टानों पर ले आयी
बिल्कुल तन्हा हूं
थामे सांसों की डोर।
तुम टूटोगे
तो टूटेगी डोर भी
फिर कहना नहीं
कि मरहूम अच्छा इंसान था।
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