मंगलवार, 29 जुलाई 2014

दा जू


दाजू , इन्हें गाड़ी पर लाद दो 
इतनी सब्जी का क्या करोगे बाबू ?
तुम्हें इससे क्या?
बस लाद दो, कहा  

सर जी , मुझे ये कोर्स लेने हैं
अरे, इन कोर्सेस से क्या होगा फ़ायदा ?
इससे क्या, सर जीमतलब आपका ?
मुझे ओपन कोर्सेस चुनने की फ़्रीडम है  

दाजू ने सुन लिया 
दाजू ने कर दिया
दाजू रोज़ करता है काम बाजार में,  
लेकर मज़दूरी  

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1 टिप्पणी:

  1. दाजू
    सारी दुनिया का बोझ लिए
    तुम चल तो रहे हो
    परन्तु इस सीमा में जकड़ी
    बस्ती के बाशिंदे
    तुम्हारी श्रद्धा व निष्ठा
    व तुम्हारे स्नेह भाव पर
    व्यंग्य कर रहे हैं
    तुम उनके अट्टहास की प्रेरणा हो
    तुम मात्र अपने कर्त्तव्य का
    निर्बाह कर रहे हो
    बोझ की पीड़ा की अनुभूति से
    मीलों दूर

    इस बस्ती के द्वारपालक
    इसलिए नहीं है
    कि कोई और
    तुम्हारा भाई-बंधू
    यहाँ प्रवेश न कर सके
    बल्कि वे तुमको
    बाहर की दुनिया से
    रखना चाहते हैं दूर
    तुमको बंचित रखना चाहते हैं
    सीमा पार के सुख से
    उनके मस्तिष्ट का संकुचित होना
    तुम्हारे स्वछंद आकाश को
    कितना संकीर्ण बना रहा है
    तुम जानो

    दाजू
    तुम इन बाजारू विषयों से
    दूर ही रहना
    क्योंकि बहुत घातक होता है
    विषय का बाज़ार में होना
    छोड़ दो बाज़ार को
    एक विषय मात्र के रूप में

    दाजू
    तुम्हारी स्वछंद सोच
    तुम्हारी पूंजी है
    किसी भी स्थूल सीमा से परे

    इस बस्ती के बाशिंदे
    अनभिज्ञ हैं
    विषयो के
    हो रहे
    असीमित विस्तार से
    उनकी व्यस्तता का विषय
    विषय की
    सीमा निर्धारित करना है
    और फिर
    इस बस्ती के द्वारपालक की
    भूमिका में
    आश्वस्त करना
    कि कहीं तुम
    दाजू तुम
    लांघ न दो सीमा को
    पोटली में सहेजे हुए
    विषयो के साथ
    .....................
    विजय...16.7.14... 10 am

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