ओ शिशिर-शीर्ण निष्पर्ण वृन्त,
बिखरे, वीणा के भग्न तार,
खँडहर अतीत प्रासादों के,
किसका, क्यों, करते इंतज़ार ?
हो किसी विजन प्रांगण में स्थित
चिर-स्वप्निल प्रेमी की मज़ार,
धूसरित, उपेक्षित, खग-विष्ठित,
किसका, क्यों, करते इंतज़ार ?
दूध-से धवल ज्योत्स्ना-शीतल
एक मसृण दुपट्टे में सँवार,
आएगी कोई दीप लिए
करते क्या उसका इंतज़ार ?
भूल जा, दोस्त, भ्रम छोड़, यार,
शब्दाडंबर हैं, स्नेह, प्यार,
तुम हो अतीत, तुम हो विराम,
मत करो किसी का इंतज़ार ।
------------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें