शनिवार, 22 मई 2021

पिशाचलोक

 मैं सोचता हूं कि भारत

ऋषियों का नहीं

पिशाचों का देश है

नहीं तो लाशों के कफ़न चुराकर

लोग व्यापार नहीं करते

और न ही सेंकते रोटियां

चिंताओं की आग पर।


कह दो, यार

मैं ग़लत सोचता हूं

तुम्हारा कहना झट मान लूंगा

आत्मप्रवंचना की खातिर।

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