मैं सोचता हूं कि भारत
ऋषियों का नहीं
पिशाचों का देश है
नहीं तो लाशों के कफ़न चुराकर
लोग व्यापार नहीं करते
और न ही सेंकते रोटियां
चिंताओं की आग पर।
कह दो, यार
मैं ग़लत सोचता हूं
तुम्हारा कहना झट मान लूंगा
आत्मप्रवंचना की खातिर।
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