शनिवार, 27 सितंबर 2014

पगली का प्रेमगान

मेरी पलकें जो है मुँदती तो फ़ना होती है
आँख खुलती है तो फिर लौट के बसती दुनियाँ   
मेरे जेहन में न जानें क्यूँ ये आता है ख़याल 
अक़्स तेरा मेरे ख़्वाबों ने तराशा होगा। 
         
नाचते आसमाँ पै जो थे हज़ारों तारे,
पहन के झिलमिल सुर्ख-ओ-नीले लिबाश
गुम हुए ढँक के कहीं अपने-अपने चेहरे
मेरी पलकें जो मुँदी, रात उन्हें लील गयी। 
        
मैंने देखा कि मैं-तुम हम-बिस्तर हैं,
चूमते हो तुम मुझे आगोश में लिए हुए 
पागल हो गये हो तुम, या फिर मैं दीवानी,
अक़्स तेरा मेरे ख़्वाबों ने तराशा होगा। 
     
ढह रहीं टूट के ज़न्नत की दर-ओ-दीवारेँ, 
आग है सर्द हुई ख़ौफनाक दोज़ख़ की,
शैतान, फ़रिश्ते, मुझे छोड़ो, दफ़ा हो जाओ 
मुंदकर मेरी पलकों ने दुनियाँ को लील लिया। 

ऐसा लगता है, तुम लौट आये मेरे पास,
वादा निभाने में बड़ी देर कर दी तुमने,
मेरे हुश्न के साथ तेरी याद भी हुई धुँधली,
अक़्स तेरा मेरे ख़्वाबों ने तराशा होगा।  

काश, किया होता तूफ़ान-बगूले से इश्क़,
बहार आती है तो वे भी आ जाते हैं
मैंने मूँद लीं हैं भारी पलकें अपनी,
सारी दुनियाँ घुप अँधेरे में डूब गयी।          
अक़्स तेरा मेरे ख़्वाबों ने तराशा होगा।    


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सिल्विया प्लैथ (Sylvia Plath) की मैड गर्ल' लव सॉन्ग (Mad Girl's Love Song) का भावानुवाद;
देबदास छोटराई द्वारा उड़िया में भी अनुवादित  


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