हम गुनाहों की गली में चस्प हैं,
आप क्यों हैं रंज? हैं तो झेलिये ।
है नसीहत आपकी बेशक़ भली,
उसके मानी कुछ न औरों के लिये ।
नालियों में हम पड़े हँसते तो हैं,
उम्र भर रोते जिये तो क्या जिये ।
जिसने भी ज़द्दोज़हद की उम्र भर,
आज ख़ुद ही तोलिये, क्या कर लिये ।
रौशनी नंगा दिखाये ग़र हमें,
फ़ायदे क्या हैं जलाने के दिये ।
ज़र्द हो वे टहनियों से गिर गये,
सर्द जज़्वातों से यूँ मत खेलिये ।
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नफ़ा-नुक्सान कुछ नहीं साहब
जवाब देंहटाएंदीप का कर्म सिर्फ जलना है
रोशनी कौन किसको देता है
ज़िंदगी भर सवाल चलना है
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साँझ ढलते टहलते देखा वहाँ
झील में मछ्ली सुखी होती तो है
इक नदी रोकर समंदर मे मिली
नालियों में भी हंसी होती तो है
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कोशिशें मुकम्मल हों रही हैं दीखती
जिंदगी की राह में मोती तो है
आँख का पानी फ़ज़ीहत कर गया
हर नसीहत रोशनी देती तो है
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मैं रहा मशगूल अपने आप में
था नहीं कुछ फर्क मुझमे आप मे
राह चलकर मुश्किलों की देख ली
क्यों भला हूँ व्यस्त मैं इस माप में