शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

अब तो मर जाने में

अब तो मर जाने में गम नहीं, अफ़सोस नहीं
मौत जो भी हो तुम, अहद-फ़रामोश  नहीं । 

जिंदगी एक बियाबां में सफ़र था लम्बा 
ना मिला साथ तो औरों का कोई दोष नहीं  

लम्बी तन्हाई जिया, अब तेरा साथ मिला 
औरों से है कमतर तेरा आगोश नहीं  

वो, जो नम  आँखों से देख रहे हैं मुझको, 
यार फ़रेबी हैं, मगर उन पै  मेरा रोष नहीं । 

होश में सेज पै काँटों के जिया मैं ताउम्र   
मैं बहुत खुश हूँ, मुझे अब रहेगा होश नहीं । 

अब तो मर जाने में गम नहीं, अफ़सोस नहीं
मौत जो भी हो तुमअहद-फ़रामोश नहीं । 

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