रविवार, 20 अक्तूबर 2019

लीलाधर

देखकर गणिका के साथ फोटू और
हँसते बतियाते बलात्कारियों के संग
भिनभिना गया था मन|
लगता था तुम पाखंडी हो
ठगते हो भक्तों को
संतों की वाणी बोल|
भूल गया था कि
तुम संतों के, और
पापियों के भी, प्रभु हो|
अजामिल के प्रभु,
अहल्या के तारक,
राधा के कृष्ण|
उलझ गया था मन
विकल थी बुद्धि
हे, मायापति|
तुमने उबार लिया
अंत में मुझे भी
हे, लीलाधर|

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

उलटी गंगा

गंगा नहाकर, गीली धोती पहने
बैठ गए पंडित जी, पढ़ते हुए मन्त्र,
करने पूजा |
धूप थी तेज़
पूजा चली लम्बी
सूख गयी धोती,
लिपटी शरीर में,
बनकर चितकबरी
चिपक रही थी काई
हरी सेवार
काले बुरादे
नीले फेन,
पीले झाग,
फटी धोती की उजली छाती पर|
लगा कुछ ऐसा
कि करने अपने को पापमुक्त
गंगा करने लगी है पंडित-स्नान|