शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

उलटी गंगा

गंगा नहाकर, गीली धोती पहने
बैठ गए पंडित जी, पढ़ते हुए मन्त्र,
करने पूजा |
धूप थी तेज़
पूजा चली लम्बी
सूख गयी धोती,
लिपटी शरीर में,
बनकर चितकबरी
चिपक रही थी काई
हरी सेवार
काले बुरादे
नीले फेन,
पीले झाग,
फटी धोती की उजली छाती पर|
लगा कुछ ऐसा
कि करने अपने को पापमुक्त
गंगा करने लगी है पंडित-स्नान|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें