मंगलवार, 14 अगस्त 2018

स्वतंत्रता-दिवस

आओ, स्वतंत्रता-दिवस मनाएँ, धूम मचाएँ
आज़ादी का दिन याद करें, झंडा फहराएँ|
ऊपर-ऊपर हम त्याग-तपस्या के व्रतधारी
नीचे हैं पल्लवपूर्ण सब्ज़ इच्छाएँ सारी 
उजले चरित्र पर चक्कर रहता 
मँडराता हैं
खादी कपड़ा रेशम से बड़ा कहा जाता है|
सुनकर भाषण रेशमी, पेट की क्षुधा बुझाएँ
चूल्हा छुट्टी पर, बर्तन साफ़, किसे बतलाएँ?
अब कौन यहाँ अँगरेज़ जिसे दोषी ठहराएँ?
किसके विरोध में उठें और फाँसी चढ़ जाएँ?
क्या ख़ुद के पूर्वजन्म के पापों का यह फल है?
सपने सारे ढह गए, हाय, भवितव्य प्रबल है|
आओ, नेताओं की महिमा के गीत सुनाएँ
आओ, स्वतंत्रता-दिवस मनाएँ, धूम मचाएँ|

शनिवार, 11 अगस्त 2018

कलम बड़ी या तलवार


टीचर ने लड़के से पूछा कलम बड़ी है या तलवार
उत्तर देना, और बताना अपने उत्तर का आधार|
लड़का हँसता खड़ा हो गया, बोला, करते आप मज़ाक
जब तलवार निकलती है तो मोल कलम का मिट्टी, ख़ाक|
कलम एक या पाँच, जेब में डरती, करती है आराम
तब तलवार दुश्मनों का क्षण भर में करती काम तमाम|
बिरना बना हुआ है हीरो छुरी-कटारी के बल पर
बीए, एमए करके क्या  लखना के घर पर है छप्पर?
कट्टे की ताक़त पर गुंडे संसद में  भर  जाते हैं
कवि, लिख कविता और लेख, फुटपाथों पर म जाते है|
कलम रिफिल माँगती, किन्तु लेखक की हालत ख़स्ता है
रिफिल बड़ी महँगी आती है, उससे लोहू सस्ता है|
पढ़े-लिखे हैं आप, किन्तु टीचर हैं बिरना के बल पर
लखना कूट रहा है क़िस्मत विना जॉब के बैठा घर|
बाजू का है ज़ोर बड़ा, तलवार बड़ी होती है, सर
क़लम माँगती भीख, भटकती सुबह-शाम दरवाजों पर|

शनिवार, 4 अगस्त 2018

सरस्वती पूजा


इतनी भूख लगी है अम्मी? आओ मेरे साथ रहो 
कितने बेर मिठाई कितनी? ले आऊँ एक  बार कहो|

पेट भरेगा तेरा क्या इन  तीन दिनों के राशन से 
ऊब नहीं क्या होती तुमको ग़लत स्तोत्र के भाषण से ?

क्या इन  तीन दिनों की पूजा, तीन दिनों का यह आह्लाद
हो सकता  पर्याप्त मेटने संवत्सर भर का अवसाद ?

है त्यौहार तुम्हारी पूजा, भारत त्यौहारों का देश 
तेरी मूर्ति विसर्जन करते ही न बचेगा कुछ अवशेष| 

मैं न करूँगा पूजा अर्चन और विसर्जन उसके बाद
तुझे रखूँगा सदा ह्रदय मैं, नहीं करूँगा तनिक प्रमाद|    

न मिले कोई करने बातें, मुझसे करो बात दिन-रात
इतनी कहो कथाएँ लम्बी आ जाये अरुणाभ प्रभात| 

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