मंगलवार, 14 अगस्त 2018

स्वतंत्रता-दिवस

आओ, स्वतंत्रता-दिवस मनाएँ, धूम मचाएँ
आज़ादी का दिन याद करें, झंडा फहराएँ|
ऊपर-ऊपर हम त्याग-तपस्या के व्रतधारी
नीचे हैं पल्लवपूर्ण सब्ज़ इच्छाएँ सारी 
उजले चरित्र पर चक्कर रहता 
मँडराता हैं
खादी कपड़ा रेशम से बड़ा कहा जाता है|
सुनकर भाषण रेशमी, पेट की क्षुधा बुझाएँ
चूल्हा छुट्टी पर, बर्तन साफ़, किसे बतलाएँ?
अब कौन यहाँ अँगरेज़ जिसे दोषी ठहराएँ?
किसके विरोध में उठें और फाँसी चढ़ जाएँ?
क्या ख़ुद के पूर्वजन्म के पापों का यह फल है?
सपने सारे ढह गए, हाय, भवितव्य प्रबल है|
आओ, नेताओं की महिमा के गीत सुनाएँ
आओ, स्वतंत्रता-दिवस मनाएँ, धूम मचाएँ|

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