शनिवार, 4 अगस्त 2018

सरस्वती पूजा


इतनी भूख लगी है अम्मी? आओ मेरे साथ रहो 
कितने बेर मिठाई कितनी? ले आऊँ एक  बार कहो|

पेट भरेगा तेरा क्या इन  तीन दिनों के राशन से 
ऊब नहीं क्या होती तुमको ग़लत स्तोत्र के भाषण से ?

क्या इन  तीन दिनों की पूजा, तीन दिनों का यह आह्लाद
हो सकता  पर्याप्त मेटने संवत्सर भर का अवसाद ?

है त्यौहार तुम्हारी पूजा, भारत त्यौहारों का देश 
तेरी मूर्ति विसर्जन करते ही न बचेगा कुछ अवशेष| 

मैं न करूँगा पूजा अर्चन और विसर्जन उसके बाद
तुझे रखूँगा सदा ह्रदय मैं, नहीं करूँगा तनिक प्रमाद|    

न मिले कोई करने बातें, मुझसे करो बात दिन-रात
इतनी कहो कथाएँ लम्बी आ जाये अरुणाभ प्रभात| 

 -----------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें