शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

रिश्ता ही क्यों जोड़ गए तुम


मेरी खता बिना बतलाये 
मुझे अकेला छोड़ गए तुम

मुझे भ्रमित कर चौराहे पर
बदल राह किस मोड़ गए तुम

मन था अरमानों का मेला
झटके में सब तोड़ गए तुम

बदला लेकर किस क़ुसूर का
तन मन प्राण मरोड़ गए तुम

इतनी जल्दी जाने की थी
रिश्ता ही क्यों जोड़ गए तुम
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