शनिवार, 22 मई 2021

रुदन

 मैं रोना नहीं चाहता

क्योंकि मैं एक धीर गंभीर पुरुष हूं

रोना तो कायरों या स्त्रियों की 

पुख्ता पहचान है।


लेकिन ये बेवकूफ आंखें

भर ही आती हैं

पलकें नहीं संभाल पाती हैं

आंसुओं का भार।


युंग कहते थे

कि मर्द के अचेतन में

एक अनिमा रहती है

एक प्रबल नारी

जो चेतन पर कभी-कभार

पड़ती है भारी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें