मंगलवार, 6 जुलाई 2021

ओड टु जस्टीसिया

अरे, ओ न्याय की देवी

तू अगर अंधी है

तो पट्टी क्यों बांध रखी है

आंखों पर?

पक्की जाहिल हो क्या?

या कि तुम्हारे मूर्तिकार

बछिया के ताऊ हैं?

पट्टी उतार कर फेंको

देखो, शायद दिख जाए कुछ।


अगर तुम सचमुच अंधी हो

तो तेरी तराजू के पलड़े

किस तरफ झुके हैं

यह कैसे लौकेगा तुम्हें?

कैसे दिखेगा,

कि पलड़े पर

एक तरफ अत्याचार

और दूसरी तरफ

नोट की गड्डियां हैं

या, एक तरफ रेप है

और दूसरी तरफ

रुसूख है?


अरे, ओ फूहड़ देवी,

गांधारी की ऐक्टिंग मत कर

कूड़मगज! देख, सुन और समझ,

दुर्योधन पर लगाम लगा, धृतराष्ट्र का बैंड बजा

शकुनि को चलता कर

भारत बचा, महाभारत से बच।


यह बेवकूफी की इंतहा है

छोड़ यह नाटक।

अगर तेरा दिमाग सुन्न हो गया है तो

किसी अंध-वधिरालय में जाकर जम जा

रोटी के लाले नहीं पड़ेंगे

बहुत सारी सरकारी स्कीम्स  हैं

विकलांगों के लिए।

सरकार तुम्हें मरने नहीं देगी।

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