गुरुवार, 23 सितंबर 2021

दूरदृष्टि

मैं अपनी पीड़ा को 

आंसू बन बहने नहीं कहता 

नहीं करना चाहता हूं उन्हें अपने हृदय से दूर 

पर वे बेटे-बेटियों की तरह दूर होना चाहते हैं मुझसे 

नौकरी के लिए, शादी के लिए, अपने घर बसाने के लिए।

 मेरी आंखें सूनी हो जाती हैं तकती हुई राहें क्षितिज में, 

और लोग कहते हैं कि बूढ़ों को दूरदृष्टि होती है। 

हां, मैं सहमत हूं, आंखें पिरोये दूर तक क्षितिज में 

तकते हुए उनकी वापसी की राह।

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