बुधवार, 13 जुलाई 2016

प्रे टुगेदर

प्रे टुगेदर,प्रे टुगेदर, प्रे टुगेदर
कुछ न मिलता व्यर्थ में ज़द्दोज़हद कर। 

हाथ पर रख हाथ जो बैठे रहे हैं
या कि मय आराम यूँ लेटे रहे हैं
भाग्य के बल आज सब कुछ ले चुके हैं 
कर्मबल के सौ नसीहत दे चुके हैं 
काम कर हमने कमाए दर्द, ठोकर     
प्रे टुगेदर,प्रे टुगेदर, प्रे टुगेदर। 

जो महंथी कर रहे हैं वे बड़े हैं
भक्तजन लंबी क़तारों में खड़े हैं
आज चरणामृत नहीं बेमोल मिलता
आज चमचों को रतन अनमोल मिलता
यार मेरे, श्रम नहीं, चमचागिरी कर 
प्रे टुगेदर,प्रे टुगेदर, प्रे टुगेदर।               

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