मंगलवार, 1 जून 2021

अलविदा ओ परी

 पंख लगाकर समय उड़ गया 

वह तो है  कल की ही बात।

अग्निदेव को साखी रख कर

कसमें ली थीं हमने सात।


अग्निदेव  को सौंप तुम्हें मैं

लौट रहा अब खाली हाथ।

पंख लगा कर उड़ी गगन में

तुम चंचल परियों के साध।

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