शनिवार, 13 दिसंबर 2014

जिजीविषा

मैनें सूरज से पूछा,
कब तक चलोगे?
उत्तर मिला 
शाम तक
जो आने ही वाली है । 

मैंने चिड़िये से पूछा 
कब तक उडोगी?
उत्तर मिला,
कुछ देर और,
पास के पेंड पर मेरा बसेरा है। 

मैंने दीपक से पूछा 
कब तक बलोगे?
उत्तर मिला, 
सुबह तक,
या तब तक 
जब तक स्नेह सूखा नहीं। 

मैंने आग से पूछा 
कब तक जलोगी?
उत्तर मिला,
जब तक ईंधन चुक नहीं जाते। 

मैंने सांसों से पूछा 
कब तक यूँ ही आती-जाती रहोगी?
उत्तर मिला,
जब तक तुम मुझे बुलाते रहोगे,
सब्जबाग नित नये दिखाते रहोगे,
आती रहूँगी मैं धर नित नए वेष,
जनम पर जनम तुम लेते रहोगे,
हर जनम मेरे चहेते रहोगे। 


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