शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

बाबा ब्लैक शीप

मेरी नन्हीं-सी पोती ने 
स्कूल से आते ही मुझसे पूछा
बाबा, बताऊँ  कुछ ?
आज मुझे स्कूल में सिखाया जो 
सुनाऊँ कुछ ?

मैंने कहा
हाँ, हाँक्यों नहीं,
क्या तुमने सीखा,
तेरी ज़ुबानी
सुनें तो सही  

थोड़ा तुतलाते हुए 
फ़िर उसने गाया    
राइम वह,  जिसने
एक नहीं, सैकड़ों
पेरेंट्स को लुभाया 

बा बा ब्लैक शीप 
हैव यू एनी वुल 
यस सर, यस सर 
थ्री बैग्सफुल
वन फॉर माय मास्टर  …        
   
राइम सुना कर वह भाग गई 
मेरी अधिविज्ञता, पर, जाग गई। 

हाँ, हाँ, बाबा ज़रूर ब्लैक शीप है। 

बरसों खा आधा पेट 
फटे कम्बल पर लेट 
उसने उगायी वुल 
तीन नहीं, पाँच नहीं
अनेकानेक  बैग्सफुल    

बक़ौल धूमिल के,

बाबा की उम्र और बोझ से 
झुकती और दुखती पीठ पर 
उसके कमाए हुए
एक नहीं, अनेक   
ऊन के हैं गट्ठर  

वह सब ग़र बेटों के लिए 
शान--शौक़त का 
सस्ता ईंधन हो,    
- जो माँगें, दे दें 
एक पाई कम हो
तो बुड्ढा चीप है 
ज़रूर ब्लैक शीप है  


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1 टिप्पणी:

  1. नर्सरी रायम के माध्यम से
    आपने असल बात कही है
    बाबा ब्लैक शीप हो या न हों
    'थ्री बैग्स फुल' बाली बात
    बिलकुल सही है

    सभी लगे हैं हिस्सा बाँट में
    टीचर, डाक्टर नेता या अफसर
    सभी ढून्ढ रहे हैं
    कोई न कोई अवसर

    इ ससुर थ्री बैग्स
    कभी फुल होते
    दीखते तो नहीं
    परन्तु बंटवारे का
    लाभ लेने वाले
    एकत्रित हो जाते हैं

    जीवन का अनुभव कुछ यही है
    आपने असल बात कही है

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